गुरुवार, 25 अगस्त 2011

अन्ना कि तमन्ना है

अन्ना कि तमन्ना है के भ्रष्टाचार मेरे देश से मिट जाये
चाहे मेरी जान् जाये चाहे मेरा दिल् जाये
देश तो पहले ही भ्रष्टाचारियों का हो चुका ।
नेताओं की मनमर्जी मे खो चुका ।।
यादो की बस् धूल् बन् चुका सोने का फूल्  ।
सीने पे मै रख् दू हाथ् फिर् खिल् जाये ।।
चाहे मेरी जान् जाये चाहे मेरा दिल् जाये
देश तो बेचते है खरीदते है लोग कई बार् ।
क्या किस्सी नेता ने किया था देश से सच्चा प्यार् ।।
यादो को छोड दे वादो को पूरा कर दे तो  ।
अपना भारत विश्व में ऊँचा समान पा जाये ।।
चाहे मेरी जान् जाये चाहे मेरा दिल् जाये
अन्ना कि तमन्ना है के भ्रष्टाचार मेरे देश से मिट जाये
चाहे मेरी जान् जाये चाहे मेरा दिल् जाये