- कौन जाने कब मौत का पैगाम आ जाये, जिंदगी की आखरी शाम आ जाये | हम तो ढूंढ्ते है वक़्त ऐसा जब, हमारी जिंदगी आपके काम आ जाये ||2. जब भी किसी को करीब पाया है, कसम खुदा की वहीँ धोखा खाया है | क्यूँ दोष देते है कांटों को, जखम तो हमने फूलों से पाया है ||3. बिखरे अशकों के मोती हम पिरो ना सके, तेरी याद में सारी रात सो ना सके | बह ना जाये आँसूं में तस्वीर तेरी, ये सोच कर हम रो ना सके ||4. दोस्तो अगर आप मेरी और रचनायें पढ्ना चाहते है तो मेरे ब्लोग www.brojha.blogspot.com पर क्लिक करे और पढें|