शनिवार, 13 फ़रवरी 2016

बसंत का मौसम

लिखू मै इक गीत ऋतु बसंत का
सरसो के फूल गुलाब की गन्ध का ।
होठो पर अब आने दो मुस्कान्,
जाडे. से अब तक था बदन श्मशान्।
अंगों मे खिलने दो टेसू के फूल,
सांसों तक बहने दो सकून ।
लिखू मै इक गीत ऋतु बसंत का
तितली रंग सी उड्ती पतंग का ।
गेहूँ के पौधे मे बाळी निकलने लगी,
ठूँठ हुए पेडो में पतियाँ फूटने लगी ।
हलथरों के भी बहार आने लगी ,
जोहड. में भी बतख नहाने लगी ।
लिखू मै इक गीत ऋतु बसंत का
अपनों के संग बहती उमंग का ।

सोमवार, 4 जनवरी 2016

मौसम

आसमान मे बदळी है छाई ,
पौष की रात मावठ है आई ।

खो गया ओट में चाँद,
सो गये तारे पी के भाँग।

धरा ने ओढी चादर पीली,
ओस से जमीं है सीली ।

अम्बर ने बिजली चमकाई ,
चने में  फूटी कोपल मुरझाई

बादलों ने है अर्क को छुपाया ,
शीत से अर्क ने पता गिराया ।

गेहूँ की बाली है लहराई ,
आज रात मावठ है आई ।