शनिवार, 3 सितंबर 2011

मैं ढूंढता हूं


मैं ढूंढता हूं उनको रातों को ख्यालों में
वो मुझको मिल सके ना सुबहा के उजालों में।।

मीठी-2 प्यार की बातें, मेरे खादीदार की बातें।
कभी इकरार की बातें, कभी इन्कार की बातें।।
एक डर सा छुपा है उनकी हंसी चालों में।
मैं ढूंढता हूं ..........

जो यूं बेईमान होते हैं, वो कब ईमानदार होते हे ।
दिल ए नाशाद होते हैं, वो इक फरेबगार होते है।।
उलझा हुआ था कबसे, घूसखोरों के अजीब जालों में।
मैं ढूंढता हूं उनको .........

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