शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2012

आओ हम जाग जाएँ

प्यार की डगर छूट न जाए,
     सांसो की डोर टूट न जाए,
आओ हम जाग जाएँ


दिन ढल न जाए,
     समय निकल न जाए
आओ हम जाग जाएँ 

लुटेरे लंगर लूट न ले जाए,     
    दुश्मन पीठ मे छुरा घोंप न जाए
आओ हम जाग जाएँ 


फूल कुम्ह्ला न जाए
     चाँद धुंधला न जाए
आओ हम जाग जाएँ  

गंगा का पानी गंदला न जाए,
     द्वारिका  समुद्र में डूब न जाए
आओ हम जाग जाएँ  

नदियोँ में पानी सूख न जाए
     रेगिस्तान आगे बढ न जाए 
आओ हम जाग जाएँ  

सफेद कुर्ते पर दाग लग न जाए
     खाखी वर्दी का रंग उड़ न जाए
आओ हम जाग जाएँ  

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