शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

ग्रहों व भावों के अनुसार ही विभिन्न रोग प्राप्त होते हैं।

1. सूर्य: पूरा शरीर, चेहरा दायां भाग, ज्वर, रक्तचाप, नेत्र रोग (दायां), पागलपन, हड्डी टूटना, मुंह से झाग आना, लकवा। सूर्य की महादशा, अंतर्दशा में उपरोक्त रोग की संभावना प्रबल रहती है।
2. चंद्र: हृदय, फेफड़े, चेहरा बायां भाग, हृदय व फेफड़ों के रोग, नेत्र रोग बायां, मानसिक रोग, पक्षाघात, मिर्गी, अनिद्रा, पागलपन, स्तन रोग, छाती रोग, हारमोन्स के रोग।
3. मंगल: जिगर, होंठ, जिगर व होंठ की बीमारियां, हैजा, पित्त व पेट की बीमारियां, रक्त चाप उच्च व निम्न, रक्त विकार, नासूर, फोड़ा, सिरदर्द, मज्जा रोग, मंगल की दशा में रोग।
4. बुध: दांत,जीभ, दिमाग, विवेक, स्नायु तंत्र, मानसिक, स्नायु, जुकाम, दांत के रोग, विवेक में कमी, हकलाहट, मंद बुद्धि रोग, नपुंसकता। बुध की दशा में रोग।
5. गुरु: नाक, गर्दन, सांस व फेफड़े के रोग, मोटापा, चर्बी रोग, मधुमेह गुरु की दशा में रोग।
6. शुक्र: गाल, स्वर तंत्र, चर्म रोग, खुजली, गुप्त रोग, स्वर विकार, किडनी रोग।
7. शनि: भौहें, बाल, हड्डी, नस, नेत्र, पैर, नेत्र ज्योति रोग, दमा, खांसी, कफ, नसो के रोग, बाल उड़ना, रूसी, हड्डीटूटना नाभि के नीचे भागों में दर्द, नपुंसकता।
8. राहु: मस्तिष्क के कंपन, सिर, ठुड्डी, मानसिक रोग, ऊपरीबाधा, पागलपन, लकवा, प्लेग, बुखार, मोटापा, चर्बी रोग, तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत प्रकोप।
9. केतु: धड़, घुटने, टखने, पंजे, कान, रीढ़ की हड्डी, इन अंगों में रोग, यौन रोग, अंडकोष के रोग, हाथ-पांव में दर्द, गलगंड, मूत्र रोग, फोड़े फुंसी, नपुंसकता।

उपर्युक्त ग्रहों की विभिन्न दशाओं महा, अंतर, प्रत्यंतर दशा व शनि की साढ़ेसाती,ढईया, गोचर आदि में संबंधित रोग होंगे। हां कालपुरूष का मेडिकल साइंस के उपरोक्त आधार पर प्रयोग करने के पश्चात् यह आसानी से जाना जा सकता है कि जातक को कौन सा रोग होगा।
साधारणतया रोग का विचार काल पुरूष की कुंडली के छठे भाव से किया जा सकता है।
लग्न- लग्नेश, राशि-राशीश, चंद्रमा, षष्ठ-षष्ठेश, एकादश भाव-एकादशेश के निर्बल नीच, अस्त, वक्री आदि होकर त्रिक भाव 6, 8, 12 में स्थित होने से जातक को ग्रहों व भावोंके अनुसार ग्रहों की विभिन्न दशाओं महा, अंतर, प्रत्यंतर दशा, गोचर, शनि की साढ़ेसाती, ढईया में ग्रहों व भावों के अनुसार ही विभिन्न रोग प्राप्त होते हैं। साथ ही इन पर पाप प्रभाव हो तो इन पाप प्रभाव के ग्रहों की दशा में रोग और भी अधिक उग्र हो जाते है।

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