फिजां का मिजाज बहुत ठण्डा है ,
हर साल झेलना पड़ता ये फण्डा है ।
कृपा करो हे देव सविता ,
लिखूँ मैं अपनी छोटी सी कविता ।
नन्हे मुन्ने शाम को सो जाते,
सुबह कविता ये गाते ।
भोर हुई लो सूरज आया ,
अपने संग किरणों को लाया ।
मीठे गीत कोयल गाती ,
सब के मन को भाती ।
हर साल झेलना पड़ता ये फण्डा है ।
कृपा करो हे देव सविता ,
लिखूँ मैं अपनी छोटी सी कविता ।
नन्हे मुन्ने शाम को सो जाते,
सुबह कविता ये गाते ।
भोर हुई लो सूरज आया ,
अपने संग किरणों को लाया ।
मीठे गीत कोयल गाती ,
सब के मन को भाती ।
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