मेरे सभी चाहने वालों को सादर प्रणाम अभिनन्दन 🙏🙏
आज मैं अपनी समझ और विवेक से सनातन पंचांग तथा मुस्लिम व ईसाई पंचांगों का विश्लेषण प्रस्तुत कर रहा हूं, आशा है आपको अवश्य पसंद आएगा, यदि कोई त्रुटि हो तो सुधारने का सुझाव दें और लेख कैसा लगा अवगत करवाने का श्रम करें-
हिजरी या इस्लामी पंचांग को (अरबी में: अत-तक्वीम-हिज़री; फारसी में : 'तकवीम-ए-हिज़री-ये-क़मरी) जिसे हिजरी कालदर्शक भी कहते हैं। यह एक चंद्र कालदर्शक है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में प्रयोग होता है बल्कि इसे पूरे विश्व के मुस्लिम भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए प्रयोग करते हैं। यह चंद्र-कालदर्शक है अर्थात चन्द्र की कला यानि गति (चन्द्र मास) पर आधारित है, जिसमें वर्ष में बारह मास, एवं 354 या 355 दिवस होते हैं और मास 29/30 दिन का होता है वो भी अस्थाई यानि प्रत्येक मास चन्द्रमा के दिखने पर निर्धारित होता है कि मास 29 या 30 दिन का होगा।
इस्लामी महीनों के नाम
1- मुहरम (पूर्ण नाम: मुहरम उल-हराम)
2- सफ़र (पूर्ण नाम: सफर उल-मुज़फ्फर)
3- रबी अल-अव्वल (रबी उणन्नुर्) - मीलाद उन-नबी - ईद ए मीलाद
4- रबी अल-थानी (या रबी अल-थानी, रबी अल-आखिर)
5- जमाद अल-अव्वल या जमादि उल अव्वल (जुमादा I)
6- जमाद अल-थानी या जमादि उल थानी या जमादि उल आखिर (या जुमादा अल-आखीर) (जुमादा II)
7- रज्जब या रजब (पूर्ण नाम: रज्जब अल-मुरज्जब)
8- शआबान (पूर्ण नाम: शाअबान अल-मुआज़म) या साधारण नाम शाबान
9- रमजा़न या रमदान (पूर्ण नाम: रमदान अल-मुबारक)
10- शव्वाल (पूर्ण नाम: शव्वाल उल-मुकरर्म)
11- ज़ु अल-क़ादा या ज़ुल क़ादा
12- ज़ु अल-हज्जा या ज़ुल हज्जा
इन सभी महीनों में, रमजान का महीना, सबसे आदरणीय माना जाता है। मुस्लिम लोगों को इस महीने में पूर्ण सादगी से रहना होता है।
👉 वहीं दूसरी तरफ अंग्रेजी अर्थात ईसाइ कैलेंडर सूर्य की गति ( सौर मास) पर आधारित होता है और इसमें 365 दिन होते हैं तथा फरवरी के अलावा सभी महीने 30/31 दिन के होते हैं जिनके दिन निर्धारित है।
👉 चूंकि हिजरी कैलेंडर सौर कालदर्शक से 11 दिवस छोटा है इसलिए इस्लामी धार्मिक तिथियाँ, जो कि इस कालदर्शक के अनुसार स्थिर तिथियों पर होतीं हैं, परंतु हर वर्ष पिछले सौर कालदर्शक से 11 दिन पीछे हो जाती हैं। इसे हिज्रा या हिज्री भी कहते हैं, क्योंकि इसका पहला वर्ष वह वर्ष है जिसमें कि हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम" की मक्का शहर से मदीना की ओर हिज्ऱत (प्रवास) हुई थी।
👉 इन दोनों का कालचक्र 32/33 वर्षों बाद मेल करता है अर्थात जैसे इस बार शबे बारात 7 मार्च 2023 को थी, 2024 में 24 या 25 फरवरी को होगी। यानि पुनः शबे बारात 7 मार्च को 32 या 33 वर्षों बाद आएगी।
👉 इन दोनों के विपरीत सनातन पंचांग में चन्द्र और सौर दोनों मासों का संगम है। संक्रांति सौर मास व तिथियां चन्द्र मास की प्रतीक है इस कारण सनातन पंचांग में हर तीसरा वर्ष 13 मास (अधिक मास) का होता है जो दोनों के अन्तर को बराबर कर देता है। यही कारण है कि हर वर्ष मकर संक्रान्ति 14 जनवरी को ही होती है तथा प्रत्येक त्यौंहार हर तीसरे वर्ष उसी तारीख के आस पास आता है जैसे 2020 में दीपावली 14 नवंबर को थी, 2021 में 4 नवंबर को व 2022 में 24 अक्टूबर को तथा 2023 में पुनः 12 नवंबर को होगी।
सनातन पंचांग में तिथियों का घटना-बढना चन्द्रमा की कलाओं के घटने-बढ़ने के कारण होता है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी से कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक कलाएं बढ़ती है और उसके बाद घटनी शुरू हो जाती है। इसी से तिथियों के मान की घटा-बढी 1 से सवा घंटा तक हो जाती है। इसमें जब कोई तिथि सवा घंटा तक घट गई और उसने दोनों दिन सूर्योदय का स्पर्श नहीं किया यानि सूर्योदय के बाद शुरू हुईं और अगले दिन के सूर्योदय से पूर्व खतम हो जाती है तो इसे तिथि का क्षय या टूटना कहते हैं इसके विपरीत सवा घंटे तक बढ़ जाए और दो सूर्योदय स्पर्श करने के कारण तिथि का दो होना या बढ़ना कहते हैं। सनातन पंचांग में तिथि ओर वार सूर्योदय से माना जाता है (जबकि ईस्वी सन् में रात के बारह बजे से)
🙏🙏 हर हर महादेव 🙏🙏
🙏🙏जय जय श्री राम🙏🙏
बाबूराम ओझा
9461205281
7014973284
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