सोमवार, 30 मई 2011

जोश अर जवानी

आज सिंझिया म्हें ग्यो बाजार।
घरआली बोली म्हाने ल्या दो अचार।।
साम्ही स्कूटर पर आवै ही एक जोड़ी अजरी।
सक्ल अर लीरां स्यूं लाग्ही बा नूंवी सजरी।।
स्कूटर आ ग्यो म्हारी वाईसिकल गै साम्ही।
मोट्यार झट स्यं मार बरेक बांन थाम्ही।।
छोरी रा होठ सूर्ख लाल, नखां पर पालिष नीलि।
झटक स्यं मोट्यार गै घाल्योडी बांथ होगी ढीलि।।
देख्यो दोवां री आंख्यां मां ढेर सारो प्यार।
सजनी री मुळकण अर मूंड पर हरख अपार।।
नूंव नवैला न गिरण रो कोई डर कोनी।
बांरी नजर कैवे जणा आ सड़क है घर कोनी।।
म्हें खुश हो र सोच्यो वाह नवदम्पति री के मस्ती ।
पण होश  मां सोच्यो मीनख जूण अति के सस्ती।।
फेरूं आपरै हिवड़े न समझायो -
मनवा आ है जोश  अर जवानी।
ईं बख्त है आं री फुरसत री कहाणी।।

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