बुधवार, 22 जून 2011

सफलतम कुर्बानी

समुद्र की बूंद भाप बनकर बादलों में चली जाती है,
पहाड़ों पर गिरकर नदी के संग बह जाती है |
परन्तु खेतों में खुशहाली कर जाती है ||
हिना की पत्ती पेड़ से गिरती है ,
गीली है, सूखकर कण-कण बिखरती है |
परन्तु हाथों में लाली कर जाती है ||
कपास सिमटकर बाती बनती है,
खुद को घी में डुबोकर तिल-तिल जलती है |
परन्तु जग में दीवाली कर जाती है ||
सर्दी धुंध सहकर पौधा अनाज बनता है,
चाकी  में पिसकर, तवे पर जलकर रोटी बनता है |
परन्तु सजीवों का पेट भर कर संवरता है ||


सोमवार, 6 जून 2011

बाबा ने किया अनशन

बाबा ने किया अनशन,
अम्मा (सोनिया)रह गई सन्न।
पप्पू से कहा लगाके मन,
देख बेटा तेरे बाप-दादा का है वो धन।
योगी की जिद पर लिख दिया परचा,
तो आम आदमी की जुंबां पर होगी चरचा।
सिब्बल से बोली बाबा को बातों में उलझाओ,
प्रणव से बोली तुम भी कुछ हल सुझाओ।
प्रणव बोले
अम्मा रात को घिर आने दो।
हमारी खाखी को डण्डे बरसाने दो।
अभी तो बाबा को करने दो रामलीला,
रात को हमारी पुलिस करेगी रासलीला।
बहुत समय है होने को भोर,
रात-रात में थमा देंगें शोर।
रामदेवजी को दे देंगें देश  निकाला,
उसको नसीब नहीं होगा निवाला।

रविवार, 5 जून 2011

मेरे देश को लूट लिया

मेरे देश  को लूट लिया मिलके खादी वालों ने,
खाखी वालों ने सफेद पोशाक वालों ने . . . . . . टेर
दिल में बेईमानी और चेहरे पर शराफत ने,
भाषण सुनके हम फंस गए इनके जंजाल में।
हमने सब कुछ लुटा दिया इनकी उलफत में,
यकीन है कि वो नहीं आऐंगें दुबारा जनमत में।
जनता सवाल करेगी  अगर खादी वालों से,
तो हम भी कह देंगें कि हम लुट गए शराफत में।
मेरे देश को लूट लिया ...............
वहीं वहीं पे बंटाधार हो जिधर वो जाएं,
चुपके चुपके वो अपना काम कर जाएं।
तड़पता छोड़दे रियाया को ओर गुजर जायें,
सितम तो ये है कि शपथ लेकर मुकर जायें।
समझ में नहीं आता कि जनता किधर जायें,
हाथ का पंजा दिखाए कि कमल खिलायें।
यही सदा है कि प्रजा तंत्र हमें देकर भूल जायें
जनता सवाल ना करे और हम 5 साल मौज से खायें।
मेरे देश को लूट लिया ......................