रविवार, 5 जून 2011

मेरे देश को लूट लिया

मेरे देश  को लूट लिया मिलके खादी वालों ने,
खाखी वालों ने सफेद पोशाक वालों ने . . . . . . टेर
दिल में बेईमानी और चेहरे पर शराफत ने,
भाषण सुनके हम फंस गए इनके जंजाल में।
हमने सब कुछ लुटा दिया इनकी उलफत में,
यकीन है कि वो नहीं आऐंगें दुबारा जनमत में।
जनता सवाल करेगी  अगर खादी वालों से,
तो हम भी कह देंगें कि हम लुट गए शराफत में।
मेरे देश को लूट लिया ...............
वहीं वहीं पे बंटाधार हो जिधर वो जाएं,
चुपके चुपके वो अपना काम कर जाएं।
तड़पता छोड़दे रियाया को ओर गुजर जायें,
सितम तो ये है कि शपथ लेकर मुकर जायें।
समझ में नहीं आता कि जनता किधर जायें,
हाथ का पंजा दिखाए कि कमल खिलायें।
यही सदा है कि प्रजा तंत्र हमें देकर भूल जायें
जनता सवाल ना करे और हम 5 साल मौज से खायें।
मेरे देश को लूट लिया ......................

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