बायीं हथेली पर थोड़ा सा जल लेकर उस पर गोपी-चन्दन को रगड़ें।
तिलक बनाते समय पद्म पुराण में वर्णित निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें :.-
तिलक मंत्र
ललाटे केशवं ध्यायेन नारायणम् अथोदरे
वक्ष-स्थले माधवम् तु गोविन्दम कंठ-कूपके।
विष्णुम् च दक्षिणे कुक्षौ बहौ च मधुसूदनम्,
त्रिविक्रमम् कन्धरे तु वामनम् वाम्-पार्श्वके।
श्रीधरम वाम्-बहौ तु ऋषिकेशम् च कंधरे,
पृष्ठे-तु पद्मनाभम च कत्यम् दमोदरम् न्यसेत्।
तत प्रक्षालन-तोयं तु वसुदेवेति मूर्धनि।
12 तिलक लगायें
माथे पर - ॐ केशवाय नमः
नाभि के ऊपर - ॐ नारायणाय नमः
वक्ष-स्थल- ॐ माधवाय नमः
कंठ- ॐ गोविन्दाय नमः
उदर के दाहिनी ओर - ॐ विष्णवे नमः
दाहिनी भुजा - ॐ मधुसूदनाय नमः
दाहिना कन्धा - ॐ त्रिविक्रमाय नमः
उदर के बायीं ओर - ॐ वामनाय नमः
बायीं भुजा - ॐ श्रीधराय नमः
बायां कन्धा - ॐ ऋषिकेशाय नमः
पीठ का ऊपरी भाग- ॐ पद्मनाभाय नमः
पीठ का निचला भाग - ॐ दामोदराय नमः
अंत में जो भी गोपी-चन्दन बचे, उसे - ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः,
का उच्चारण करते हुए शिखा में पोंछ लेना चाहिए।
ऐसा करते हुए हमारा शरीर, श्रीविॆष्णु स्वरूप मंदिर बन जाता है।
तिलक बनाते समय पद्म पुराण में वर्णित निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करें :.-
तिलक मंत्र
ललाटे केशवं ध्यायेन नारायणम् अथोदरे
वक्ष-स्थले माधवम् तु गोविन्दम कंठ-कूपके।
विष्णुम् च दक्षिणे कुक्षौ बहौ च मधुसूदनम्,
त्रिविक्रमम् कन्धरे तु वामनम् वाम्-पार्श्वके।
श्रीधरम वाम्-बहौ तु ऋषिकेशम् च कंधरे,
पृष्ठे-तु पद्मनाभम च कत्यम् दमोदरम् न्यसेत्।
तत प्रक्षालन-तोयं तु वसुदेवेति मूर्धनि।
12 तिलक लगायें
माथे पर - ॐ केशवाय नमः
नाभि के ऊपर - ॐ नारायणाय नमः
वक्ष-स्थल- ॐ माधवाय नमः
कंठ- ॐ गोविन्दाय नमः
उदर के दाहिनी ओर - ॐ विष्णवे नमः
दाहिनी भुजा - ॐ मधुसूदनाय नमः
दाहिना कन्धा - ॐ त्रिविक्रमाय नमः
उदर के बायीं ओर - ॐ वामनाय नमः
बायीं भुजा - ॐ श्रीधराय नमः
बायां कन्धा - ॐ ऋषिकेशाय नमः
पीठ का ऊपरी भाग- ॐ पद्मनाभाय नमः
पीठ का निचला भाग - ॐ दामोदराय नमः
अंत में जो भी गोपी-चन्दन बचे, उसे - ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः,
का उच्चारण करते हुए शिखा में पोंछ लेना चाहिए।
ऐसा करते हुए हमारा शरीर, श्रीविॆष्णु स्वरूप मंदिर बन जाता है।
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