रविवार, 4 दिसंबर 2011

काँटों से घिर कर भी गुलाब की तरह महकाना सीखो,
पंक में रहकर भी नीरज की तरह खिलना सीखो |
परिस्थितियों से घबराने वाला मानव लोह्पुरुष नहीं होता,
राख में रहकर भी अंगारे की तरह दहकना सीखो ||

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